मौर्य साम्राज्य विकिपीडिया
मौर्य साम्राज्य
स्थापना - मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त ने नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को हराकर, चाणक्य की सहायता से की थी।
चाणक्य - चाणक्य धनानंद के दरबार रहता था एक दिन पाटलिपुत्र में वहां के राजा धनानंद ने चाणक्य को अपने दरबार से अपनमनित करके बाहर भेज दिया जिससे चाणक्य को क्रोध आया और वह क्रोधित होकर वहां से चला गया अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने कूटनीति से चन्द्रगुप्त मौर्य को राजनीति शिक्षा देकर चन्द्रगुप्त ओर धनानंद के बीच युद्ध करा दिया उस युद्ध में चन्द्रगुप्त विजय हुआ ओर मोर्य वंश की स्थापना हुई।
मौर्य वंश की जानकारी के स्रोत -
पुरातात्विक स्रोत - अशोक के शिलालेख , जूनागढ़ अभिलेख , भवन , गुफा ,स्तूप , मृदभांड आदि ।
साहित्यिक स्रोत - अर्थशास्त्र , इन्डिका , पुराण , मुद्राक्षय , बौद्ध ग्रंथ, जैन ग्रंथ आदि ।
मौर्य साम्राज्य के इतिहास में मौर्य वंशो के कुल 10 राजाओ ने 137 वर्ष तक शासन किया । इस वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था।
मौर्य शासकों की सूची
चंद्रगुप्त मौर्य – 322-298 ईसा पूर्व (24 वर्ष)
बिन्दुसार – 298-271 ईसा पूर्व (28 वर्ष)
अशोक – 269-232 ईसा पूर्व (37 वर्ष)
कुणाल – 232-228 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
दशरथ –228-224 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
सम्प्रति – 224-215 ईसा पूर्व (9 वर्ष)
शालिसुक –215-202 ईसा पूर्व (13 वर्ष)
देववर्मन– 202-195 ईसा पूर्व (7 वर्ष)
शतधन्वन् – 195-187 ईसा पूर्व (8 वर्ष)
बृहद्रथ 187-185 ईसा पूर्व (2 वर्ष)
(1) चन्द्रगुप्त मौर्य -
1. चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना चाणक्य की सहायता से धनानंद को हराकर की थी
2. चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म ३४० ईसा पूर्व पाटलिपुत्र (पटना) बिहार में हुआ था चन्द्रगुप्त क्षत्रिय जाति के थे
3. चन्द्रगुप्त की पत्नियां दुर्धरा और हेलना जो कि सेल्युकस की पुत्री थी
4. चन्द्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण भारत को एक साम्राज्य के अधीन कर लिया था ।
5. चन्द्रगुप्त का जैन गुरु भद्रबहू था ।
6. सेल्युकास ने मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा था। जिसने "इंडीका "की रचना की थी ।
7. मेगस्थनीज यूनानी शासक सेलयुकास का राजदूत था ।
8. उस समय सेल्यूकास ने अपने राज्य विस्तार के लिए भारत पर आक्रमण किया तथा बाद में संधि करने पर विवश हो गया और संधि करने के बाद ही सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्युक्स के बीच युद्ध 305 ईसा पूर्व में हुआ था।
9. चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यू जन्म के 41 वर्ष बाद कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में हुई ।
कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त ने श्रवणबेलगोला में चंद्रगिरी पर्वत में भूखे प्यासे रहकर प्राण त्याग दिए थे ।
(2) बिन्दुसार -
माता - दूर्धरा
पिता - चन्द्रगुप्त मौर्य
1. बिन्दुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का बेटा था.वह चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठा था।
2. बिन्दुसार के शासन काल में ही तक्षशिला में विद्रोह हुआ था उस विद्रोह को रोकने के लिए बिन्दुसार ने अपने दो बेटे सुशिम ओर अशोक को भेजा था ।
* तक्षशिला में विद्रोह का मुख्य कारण अधिकारियों का दुर्व्यवहार था ।
3. यूनानी लेखक के अनुसार बिन्दुसार को अमित्रोकेटस या अमित्रघात तथा अन्य नामों सिहसेन्न, मुद्रसार, अजातशत्रु भी कहा गया है।
4. मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र को पालिब्रोत्था नाम दिया
5. तक्षशिला में सुशीम ने तथा उज्जैन में अशोक ने शासन किया ।
बिन्दुसार का अजीवक पिंगलवत्स ने अशोक के राजा बनने की भवि्यवाणि की थी।
6. बिन्दुसार के दरबार में युनानी राजदूत daimekus आया था
(3) अशोक -
माता - सुभद्रंगी
पिता - बिन्दुसार
1. अशोक मौर्य साम्राज्य का महानतम शासक था सिंहली अनुषृती के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या की थी ।
2. अशोक को अन्य नाम देवानांप्रिय या देवानांप्रियादर्शी से भी संबोधित किय गया है। पुराणों में अशोक को वर्धन नाम से जाना गया है ।
3. अशोक ने कश्मीर में श्रीनगर तथा नेपाल में ललित पंतनगर बसाया था।
4. बराबर पहाड़ी पर आजीविका के लिए अशोक ने कर्ण, चोपार, सुदामा, विश्व झोपड़ी गुहाओं का निर्माण किया था।
5. अशोक ने कलिंग ( वर्तमान उड़ीसा ) पर 261 ईसा पूर्व में विजय प्राप्त की थी उस समय वहा के राजा नंदराज था ।
6. कलिंग युद्ध के बाद भीषण रक्तपात देखकर अशोक का हृदय कांप उठा और अशोक ने भेरी घोष त्यागकर धम्म घोष अपनाया ।
7. अशोक को ऊपगुप्त ने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया । हालाकि अशोक इससे पहले शिव का भक्त था ।
8. अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा था ।
अशोक के धर्म के मुख्य सिद्धांत -
* बड़ो का आदर
* छोटो के प्रति उचित बर्ताव
* सत्य भाषण
* अहिंसा
* दान
* पवित्र जीवन
* सत्य
* शुभ कर्म
* धार्मिक सहनशीलता
अशोक के जीवन की महत्वपूर्ण घटना काल
* कलिंग युद्ध - राज्याभिषेक के 8 वे वर्ष में
* बोधगया की यात्रा - 10 वर्ष में
* बड़े शिलालेख लिखवाना - 13 वे वर्ष में
* धर्म महामंत्र की नियुक्ति - 20वे वर्ष में
* लिंबिनी यात्रा - 14वे वर्ष में
* रज्जुको की नियुक्ति - 27 वे वर्ष में
8. इस वंश का अंतिम शासक ब्रहदत्त था ।
9. ब्रहदत की मृत्यु पुष्यमित्र शुंग ने कि ओर शुंग वंश की स्थापना की ।
मौर्य साम्राज्य की सैना के छः अंग थे - अश्व सेना,हस्टिसेना , पैदल, नौसेना,रथ सेना, सैन्य सहायता विभाग
मौर्य साम्राज्य की केंद्रीय अधिकारी तंत्र -
मंत्री तथा पुरोहित - प्रधानमंत्री तथा धर्माधिकारी
सम्हार्ता - राजस्व विभाग का अधिकारी
सन्निधता - कोषाध्यक्ष
प्रदेस्टा - फौजदारी
नायक - सेना का संचालक
कर्मंतिक - उद्योग धंधों का पर्धननिरिक्षक
दण्ड पाल - सेना की सामग्री को जुटाने वाले प्रधान अधिकारी
वायव्हरिक - दीवानी न्यायालय का नयायधिश
अंतपाल - सीमावर्ती durgo ka रक्षक
नाग रक - नगर का प्रमुख अधिकारी
प्रशास्तर - राजकीय कागजातों को सुरक्षित रखने वाला
दोवारिक - राजमहल की देखभाल करने वाला
Antarvshik - सम्राट की अंगरक्षक सेना का प्रधान
पौर - राजधानी का शासक
मौर्य साम्राज्य का पतन का कारण -
* अशोक के दुर्बल अधिकारी
* ब्राह्मणों द्वारा विद्रोह
* आंतरिक विद्रोह
* धन का अभाव
* सैनिक शक्ति का कमजोर होना
* वेदिशी आक्रमण
* गुप्तचर विभाग का अभाव
* विशाल साम्राज्य
* उत्तराधिकारियों के निश्चित नियम का अभाव
* राज्यपाल का अत्याचार
कोई टिप्पणी नहीं