आध ऐतिहासिक काल- सिन्धु घाटी की सभ्यता
आध ऐतिहासिक काल (2500- 600) ईसा पूर्व
वह काल जिसके लिखित विवरण तो है लेकिन लिखी गई लीपि पढ़ी नही जा सकती आध इतिहास काल कहलाता है।
इस काल का विवरण दो सभ्यता द्वारा मिला है।
(1) सिन्धु घाटी की सभ्यता (2500-1500 ईसा पूर्व)
(2) वैदिक सभ्यता (1500-600 ईसा पूर्व)
सर्वप्रथम वैदिक सभ्यता की खोज हुई थी । इसीलिए वैदिक सभ्यता को ही भारत की प्राचीन सभ्यता माना जाता था। लेकिन बाद में जब सिंधु सभ्यता की खोज हुई तो सिंधु सभ्यता से मिले साक्ष्यों से यह सिद्ध हो गया कि सिंधु सभ्यता ही भारत की प्राचीन सभ्यता है
और सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की चार प्राचीनतम सभ्यता (मिश्र की सभ्यता, चीन की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता, भारत की सभ्यता) में से एक भारत की सभ्यता यानी सिंधु घाटी की सभ्यता है को की सबसे विशाल है।
सिंधु घाटी की सभ्यता
सिंधु घाटी की सभ्यता के खोजे गए सभी स्थलों में अधिकतर स्थल सिंधु नदी के किनारे स्थित है इसलिए इस सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता कहा गया।
इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि इस सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल हड़प्पा था । जो की दोनों ही प्रचलित नाम है ।
खोज
(1) चार्ल्स मेसन - चार्ल्स मेसन ब्रिटिश था सर्वप्रथम उसने 1826 में पाकिस्तान का दौरा किया और उसने हड़प्पा सभ्यता की basic जानकारी ही दी थी ।
(2) जेम्स बर्टन, विलियम बर्टन ( बर्टन बंधु)-
सन् 1856 में दोनों भाइयों ने करांची से लाहौर तक रेलवे ट्रैक बिछाने के समय इन टिलो से ईंट प्राप्त की थी ।और तब उन्होंने अनुमान लगाया था कि यही कोई building रही होगी और इस बारे में ज्यादा सोध नहीं किया।
(3) अलेक्जेंडर कनिंघम-
अलेक्जेंडर ने पहली बार 1853-1856 तक यह शोध कर जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की ओर असफल रहा
(4) जॉन मार्शल-
जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के हेड थे 1921 में खुदाई का काम इनके नेतृत्व में हुआ ।जिसके दो खुदाईकर्ता (उत्खनन कर्ता) थे ।
A - राय बहादुर दयाराम साहनी= हड़प्पा सभ्यता की खोज की
B - राखलदास बनर्जी= मोहनजोदड़ो की खोज की
सिंधु घाटी का काल
*जॉन मार्शल के अनुसार इसका काल 3250-2750 ईसा पूर्व माना गया है ।
*कार्बन पद्धति के अनुसार इसका काल 2300-1750 ईसा पूर्व माना गया है ।
सिंधु घाटी के निर्माता
* विदेशी मत - विदेशी मत के अनुसार यह सभ्यता सुमेरियान सभ्यता थी इस तर्क के पक्ष में मार्शल, हविलार चाइल्ड,D D कोसांबी थे ।
* स्वदेशी मत - राखालदास बनर्जी के अनुसार यहां द्रविड़ लोग आकर बसे थे
TS ramchandr तथा लक्ष्मण दास के अनुसार इस सभ्यता के निर्माता आर्य थे लेकिन यह तर्क पूर्ण रूप से सिद्ध नहीं हो सका
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेताएं
1. नगरीय सभ्यता- साक्ष्य जैसे सड़के चौड़ी होना, नालियों की व्यवस्था, पक्के भवन आदि मिले है को नगरीय सभ्यता को दर्शाते है यह प्रथम नगरीय सभ्यता थी ।
2. कांस्य युग सभ्यता- कांस्य का बहुत उपयोग किया गया है
3. शांतिप्रिय सभ्यता- खुदाई के अनुसार किसी भी प्रकार का अस्त्र शस्त्र या युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले ओजार नहीं मिले अतः कहा जा सकता है। की यह काफी शांतिप्रिय सभ्यता थी ।
4. व्यापार प्रधान- चूंकि यह नगरीय सभ्यता थी तो यह नगरीय व्यापार प्रधान भी रहा होगा ।
5. विस्तृत सभ्यता- विश्व की चार सभ्यता में से एक यह सभ्यता सबसे विस्तृत सभ्यता थी ।
6. सांस्कृतिक सभ्यता- सिंधु सभ्यता के लोगो को संकृतीक कला जैसे लिपि का ज्ञान, माप तौल का ज्ञान, धातु कला का ज्ञान, मूर्ती कला का ज्ञान, बर्तन निर्माण का ज्ञान आदि थे।
और भी सभ्यता विशेषता रुप से थी जैसे - राजनीतिक सभ्यता, आर्थिक सभ्यता, सामाजिक सभ्यता जिनके विवरण के लिए मतभेद है
सिंधु घाटी की सभ्यता के प्रमुख स्थल तथा सभ्यता का पतन केसे हुआ अगले ब्लॉग में जानेंगे ।
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