गौतम बुद्ध की जीवनी

  गौतम बुद्ध की जीवनी ( biography of Goutam bhudha) 


बौद्ध धर्म संस्थापक - गौतम बुद्ध जी
बौद्ध धर्म के संस्थापक - गौतम बुद्ध जी


भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी 


गौतम बुद्ध की जीवनी हम निम्न कर्मानुसार पढ़ेंगे।


1.  जन्म से पहले

2.  जन्म

3.  जन्म के बाद

4.   विवाह

5.  महाभिनिष्क्रमण

6.  ज्ञान की प्राप्ति

7.  ज्ञान की प्राप्ति के बाद

8.  मृत्यू



1. गौतम बुद्ध के जन्म से पहले - 


* नेपाल में स्थित कपिलवस्तु के महाराजा राजा सुद्धोधन (जो कि क्षत्रिय वर्ण के शाक्य जाती के थे ) तथा रानी महामाया देवी थी. जिस समय इधर भारत 16 महाजनपद में बंट चुका था उधर शाक्य के राजधानी कपिलवस्तु गणतंत्र था।


* जब गौतम बुद्ध माता महामाया देवी के गर्भ में थे .तब उनकी माता को एक स्वप्न आया और एक सफेद हाथी ने उनके चरणों में कमल के फूल अर्पित किए । इस घटना के बारे में ऋषिमुनी से पूछा तो ऋषीमुनी ने बताया कि या तो आपका पुत्र एक बहुत बड़ा राजा बनेगा जो पूरी दुनिया को जीत लेगा .या फिर एक बहुत ब्दा सन्यासी बनेगा जो पूरी दुनिया को ज्ञान उपदेश देगा ।



2.जन्म (563 ईसा पूर्व) - 


* गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व हुआ था. कहा जाता है कि जब कपिलवस्तु की रानी महामाया देवी अपने मायके नैहर देवदह जा रही थी . तो रास्ते में लुंबिनी वन में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया लुंबिनी वन नेपाल के कपिलवस्तु ओर  देवदह के बीच रुकमनिदेई नामक स्थान में था जो तराई क्षेत्र में पड़ता था ।


* उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया जन्म के 7 दिन बाद ही उनकी माता की मृत्यू हो गई . उसके पश्चात बुद्ध के पिता ने उनकी मौसी प्रजापति गौतमी से विवाह किया और गौतम बुद्ध का लालन पालन  उसकी मौसी ने किया ।



3. जन्म के बाद -


* सिद्धार्थ के जन्म के बाद उनके पिता राजा सुद्धोधान ऋषिमुणी के द्वारा कि गई भविष्वाणि के कारण चिंतित हो गए . वे कभी नहीं चाहते थे कि उनका पुत्र सन्यासी बने बल्कि वे चाहते थे कि उनका बेटा एक बहुत बड़ा राजा बने जो पूरे दुनिया पर रूल करे ।


* इसी भविष्वाणि से चिंतित होकर राजा ने अपने पुत्र को हर प्रकार की शान- ए- शौकत की व्यवस्था महल  में ही कर दी थी . उनके लिए तीन प्रकार के महल बनवाए गए .एक महल सर्दियों के लिए दूसरा महल गर्मियों के लिए तथा तीसरा महल बरसात के मौसम के लिए बनाया गया था 


* अनेक प्रकार के मनोरंजन , नृत्य, संगीत आदि सभी का प्रबंध महल में ही करवा दिया गया ताकि सिद्धार्थ को सन्यासी बनने का विचार ना आए । सिद्धार्थ का जीवन सुख से इतना परिपूर्ण था कि उन्हें दुख का भी आभास नहीं था ।



4. विवाह -


* राजा सुद्धोधान ने अपने पुत्र गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु में यशोधरा से करा दिया गया । ताकि वह गृहस्थी में फंस जाए 


* विवाह के बाद गौतम बुद्ध का एक पुत्र हुआ उसका उन्होंने राहुल (अर्थात् एक ओर बंधन)  रखा । सिद्धार्थ का जीवन इतना सुखमय था कि वे अन्य दुखो से अपरिचित थे।


* एक बार सिद्धार्थ ने निर्णय लिया कि वह अब इस महल से बाहर का भ्रमण करना चाहता है . और वह अपने सारथी चन्ना के साथ भ्रमण के लिए निकल पड़े उन्होंने रास्ते में तीन दृश्य देखे .

a. बूढ़ा व्यक्ति

b. बीमार व्यक्ति

c. मृत व्यक्ति


a. जब उन्होंने बूढ़ा व्यक्ति को देखा तो उन्होंने अपने सारथी से पूछा कि यह क्या है . तब उनके सारथी नी कहा यह एक बूढ़ा व्यक्ति है और हर किसी को एक दिन बूढ़ा होना ही है ।


b. फिर बीमार व्यक्ति के बारे में पूछा तो उनके सारथी ने कहा यह बीमार व्यक्ति है इंसान बूढ़ा होता है और उसे बीमारी गढ़ कर जाती है 


c. उसके बाद मृत व्यक्ति को देखते है ओर पुच्चते है कि यह क्या है तब उनके सारथी चन्ना बोलते है कि यह जीवन की सच्चाई है प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन अवश्य मारना ही है ।


* यह तीनो दृश्य देखकर बहुत दुखी होते है और सोचते  है कि में कहा इस मोह माया में फसा हुआ हूं.  वहां में महल में अनेक प्रकार के भोजन करता ही ओर यहां लोगो के पास खाने को नहीं है वह बहुत दुखी मन से महल में वापस लौट आते है . और सन्यासी बनने का निर्णय कर लेते है ।



5. महाभिनिष्क्रमण - 


जब सभी सोए हुए थे तब वे अपने सवालों के जवाब पाने के लिए घर से अपने  घोड़े (कंठाक ) के साथ निकल पड़ते है . उनके द्वारा यह ग्रह त्याग करने की घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है । उस समय वह 29 वर्ष की आयु में थे ।


* गृह त्याग करने के बाद सिद्धार्थ ( गौतम बुद्ध) सबसे पहले अपने गुरु अलार कलामा (वैशाली के ) के पास पहुंचते है . ओर उनके पास वे सालों तक योगा ओर मेडिटेशन सीखते है . परन्तु उनको अपने सवालों का जवाब नहीं मिला  ।


* फिर वे अपने दूसरे गुरु उदक रमपुत्र ( राजगृह के ) के पास पहुंचते है . ओर वहां भी उन्होंने बहुत कुछ सीखा लेकिन अपने सवालों के जवाब नहीं मिले ।


* अंततः वे परेशान हो जाते है और अपने शरीर को कठोर दंडित करते है जैसे आग के सामने अपने शरीर को तड़पाना  आदि उनका शरीर बहुत बीमार हो चुका था ।



6. ज्ञान की प्राप्ति - 


एक दिन गौतम बुद्ध  बोधगया के फाल्गुनी नदी के किनारे पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. उनका शरीर प्राण त्याग करने की स्थिति में था.तभी वे अचानक योग की स्थिति में बैठ गए और ओर लगभग 45 दिनों तक तप करने के बाद उन्हें ज्ञान कि प्राप्ति हो जाती है ।


* बोध धर्म में जिसे ज्ञान की प्राप्ति होती है उस बुद्ध कहा जाता है अर्थात बुद्धत्व बको प्राप्त करने वाला

इसलिए उन्हें ज्ञान कि प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध कहा जाने लगा 


* चूंकि ज्ञान कि प्राप्ति उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे हुई थी इसलिए ज्ञान का प्रतीक पीपल के पेड़ को माना जाता है ।



7. ज्ञान की प्राप्ति के बाद - 


ज्ञान की प्राप्ति के बाद भगवान गौतम बुद्ध ने निर्णय लिया कि को ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया है वह इस ज्ञान के बारे में सभी को बताएंगे ।


* उन्होंने पहला ज्ञान उपदेश अपने पहले शिष्यों ( अनिरुद्ध, आनंद, उपाली,सारिपुत्र, मोग्गळ्यान)  को सारनाथ में दिया .


यह उपदेश देने की घटना धर्मचक्रप्रवर्तन कहलाती है ।


* आनंद के आग्रह पर ही इस धर्म में महिला को परिवेश मिला .गोतम बुद्ध ने कहा था कि यदि महिला इस धर्म में आयी तो इस धर्म का पतन शीघ्र हो जाएगा


* उनकी पहली महिला शिष्य उनकी मौसी प्रजापति गौतमी बनी ।


* उन्होंने सार्वधिक उपदेश कोशल की राजधानी  श्रावस्ती में दिए ।


* भगवान गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्य ( novel truth)   कहे ।


a. दुःख

b. दुखो का समुदाय

c. दुख का निरोध

d. दुख निरोध के मार्ग 


* दुखो को दूर करने के अष्ट मार्ग बताए ।


१. सम्यक दृष्टि

२. सम्यक संकल्प

३. सम्यक वाक्

४. सम्यक कर्म

५. सम्यक आजीव

६. सम्यक व्यायाम

७. सम्यक स्मृति 

८. सम्यक समाधि 


* बौद्ध धर्म के त्रिरत्न का पालन करने की कहा ।


1. बुद्ध       2. संघ     3. धम्म 


बोध धर्म का प्रचार उनके भिक्षुओं ने बहुत बड़े क्षेत्रमें फैला दिया . इस धर्म बका प्रचार पाली भाषा में हुआ ओर आगे चलकर संस्कृत भाषा में हुआ।



8. मृत्यू ( 463 ईसा पूर्व) - 


बौद्ध धर्म के अनुसार गोतम बुद्ध ने 80 वर्ष की उम्र में गौतम बुद्ध ने यह घोषित कर दिया था . की वह अब शीघ्र ही महापरिनिर्वाण की स्थिति में पहुंच जाऊंगा . इस कथन के बाद गौतम बुद्ध ने आखिरी निवाला एक लोहार के हाथ से खाना खाया था और कुछ समय पश्चात् उनकी मृत्यू हो गई । यह घटना महापरिनिर्वाण कहलाती है ।



नोटगौतम बुद्ध का जन्म,ज्ञान की प्राप्ति तथा मृत्यु तीनो ही पूर्णिमा को हुआ था जिसे बैसाख पूर्णिमा ( बुद्ध पूर्णिमा)  कहा जाता है 



गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद क्या हुआ , कैसे इस धर्म का पतन होने लगा ये हम अगली पोस्ट में पढ़ेंगे । अगर हमारी पोस्ट पसंद आए तो नीचे comment करे या फिर संपर्क फॉर्म के द्वारा संपर्क करे।


धन्यवाद ! 


अन्य टॉपिक:-


गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रतीक- 


1. ग्रहत्याग का प्रतीक    -  घोड़ा

2. जन्म का प्रतीक       -   कमल

3. ज्ञान का प्रतीक        -   पीपल वृक्ष

4. निर्वाण का प्रतीक    -   पद चिन्ह

5. मृत्यू का प्रतीक       -    स्तूप

6. समृद्धि का प्रतीक    -   शेर

7. यौवन का प्रतीक     -    सांड

8. हाथी का प्रतीक     -    बुद्ध के यौवन में आने का  प्रतीक

                                    

गौतम बुद्ध के जीवन की घटनाए 


1. महाभिनिष्क्रमण   - ग्रह त्याग की घटना

2.धर्मचक्रप्रवर्तन      -  उपदेश देने की घटना

3. महापरिनिर्वाण    -  मृत्यू की घटना 




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