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मगध राज्य का उदय ( हर्यक वंश,शीशुनाग वंश, नंद वंश )
1. हर्यक वंश
" व्रहदत वंश के अंतिम राजा रिपुंजय के मंत्री पुलिक ने रिपुंजय की हत्या कर अपने बालक बेटे को गद्दी पर बैठा दिया कुछ समय बाद भाटिया नामक सामंत ने बालक राजा की हत्या कर के अपने बेटे बिम्बिसार को गद्दी पर बैठा दिया था "
संस्थापक
हर्यक वंश का संस्थापक बिम्बिसार को माना जाता है बिम्बिसार को उनके पिता ने 544 ईसा पूर्व में मगध की गद्दी पर बैठा दिया था
बिम्बिसार
* बिंबिसार को श्रोनिक तथा खादिरसार भिल नाम से भी जाना जाता है ।
1. बिम्बिसार का जन्म 558 ईसा पूर्व हुआ था
2. बिम्बिसार की पत्नियां -
महाकौशल - जो कि कौशल के राजा प्रसेनजीत की बहन थी
चेलना - लिच्छिवी गणराज्य के शासक चेतक की पुत्री
खेमा - मुद्र देश ( आधुनिक पंजाब ) की राजकुमारी
आम्रपाली - आम्रपाली वैशाली की नृतकी थी जो गौतम बुद्ध की उपासक थी बिम्बिसार ओर आम्रपाली का एक पुत्र "जीवक" था ।
3. इस तरह बिम्बिसार ने विवाह सम्बन्ध स्थापित करके अपने राज्य का विस्तार किया था ।
4. बिम्बिसार का अवंती के राजा चन्द्र प्रघोत ,सिंध के शासक रुद्रयान तथा गांधार के मुक्कु रगती से दोस्ताना संबंध था
तथा गौतम बुद्ध का मित्र तथा संरक्षक था ।
5. बिम्बिसार पहले बौद्ध धर्म का बाद ने चेलना के उपदेश के कारण जैन धर्म का अनुयायि था
6. बिम्बिसार ने अंग के राजा व्रहदत्त को हराकर अंग राज्य को भी जीत लिया था ।
7. बिम्बिसार ने अपने बड़े बेटे दर्शक को उत्तराधिकारी घोषित किया था
8. बिम्बिसार का राजवैध जीवक ( जो कि बिम्बिसार का पुत्र भी था ) गौतम बुद्ध की सेवा में नियुक्त था वह अवंती के राजा प्रघोत के इलाज की लिए भी भेजा गया था ।
9. गौतम बुद्ध के विरोधी देवदत्त के कहने पर बिंबिसार के है पुत्र अजातशत्रु ने उनकी हत्या की थी ।
10. बिम्बिसार ने 52 वर्षों तक राज किया था बौद्ध व जैन ग्रंथ के अनुसार अजातशत्रु ने बिंबिसार को बंदी बनाकर रखा था जहां उनकी मृत्यु 493 ईसा पूर्व हुई थी ।
11. बिम्बिसार की इस तरह मृत्यु का कारण जानकर बिम्बिसार की पत्नी कौशल की मृत्यु हो गई ।
12. कौशल की मृत्यु से प्रसेनजीत ने अजातशत्रु के साथ युद्ध छेड़ दिया जिसमे प्रसेनजीत हार गया और श्रावस्ती चला गया लेकिन दूसरे युद्ध में अजातशत्रु हार गया लेकिन प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वजीरा का विवाह अजातशत्रु से का दिया
13. भारतीय इतिहास में बिम्बिसार ने प्रथम स्थाई सेना रखी थी ।
अजातशत्रु
1. अजातशत्रु 492 ईसा पूर्व गद्दी पर बैठा था। इसका बचपन का नाम कुनिक था
2. अजातशत्रु का विवाह कौशल नरेश प्रसेनजीत की पुत्री वजिरा से हुआ था ।
3. चेलना की दो पुत्रियों हल्ल ओर बेहल्ल को चेलना ने अपना हाथी ओर रत्नों का हार दिया था जिसे अजातशत्रु ने मनमुटाव के कारण वापस मांगा तो चेलना ने यह अस्वीकार कर दिया अजातशत्रु ने क्रोधित होकर युद्ध कर दिया और लिच्छिवी को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया ।
4. लिच्छिवियों में फूट डलवाकर हराया गया था यह फूट अजातशत्रु के सुयोग्य मंत्री वस्सकर ने डाली थी ।
5. अजातशत्रु ने अपने प्रबल प्रतिद्वंदी अवंती राज्य पर आक्रमण करके विजय प्राप्त की थी ।
6. अजातशत्रु के शासनकाल में ही गौतम बुध का महापरिनर्वाण 463 ईसा पूर्व में तथा महावीर को भी केवल्य 468 ईसा पूर्व प्राप्त हुआ था ।
7. अजातशत्रु जैन धर्म का अनुयायि था ।
8. अजातशत्रु में युद्घ में महाशिलकांटक तथा रथमुशल नामक दो शस्त्र को उपयोग किया था ।
9. अजातशत्रु की मृत्यु उसके पुत्र उदयन ने कि थी ।
10. अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक शासन किया था ।
उदयन
1. उदयन के पिता अजातशत्रु तथा माता पद्मावती थी
2. उदयन अपने पिता को मारकर राजगद्दी पर बैठा था । अजातशत्रु ने पहले उदयन को चंपा का उप्रजा बनाया था ।
3. उदयन जैन धर्म का अनुयायि था ।
4. उदयन को बौद्ध ग्रंथ के अनुसार पित्रहंता तथा जैन ग्रंथ के अनुसार पित्रभक्त कहा गया है।
5. उदयन ने गंगा ओर सोन संगम पर पाटलिपुत्र बसाया था जिसे राजगृह से हटाकर राजधानी बनाया ।
6. मगध के प्रतिद्वंदी अवंती के गुप्तचर द्वारा उदयन की मृत्यु की गई थी ।
7. बोध ग्रंथ के अनुसार उदयन के तीन पुत्र थे अनिरुद्ध, मंडक, नागदशक
8. इस वंश का अंतिम राजा नागदशक था जो अत्यंत विलाशी तथा निर्बल था ।
9. राज विद्रोह कर नागदाशक के सेनापति शिशुनाग ने
नागदशक की हत्या कर हर्यक वंश का अंत किया और
शिशुनाग वंश की स्थापना 412 ईसा पूर्व में की ।
2. शिशुनाग वंश *
* नाग़दशक की हत्या कर शिशुनाग गद्दी पर बैठा ओर
शिशुनाग वंश की स्थापना की ।
* और मगध की राजधानी पाटलिुत्र से वैशाली कर दी
* शिशुनाग की मृत्यु 394 ईसा पूर्व हुई।
* शिशुनाग के बाद शासक परवर्ती काल शोक 394 इसा पूर्व में बना।
* काल शोक ने अपनी राजधानी वैशाली से पाटलिपुत्र में बनाई।
* काल शोक को पुराणों में काकवर्ण कहा गया है ।काल शोक की हत्या महापद्मनंद ने पाटलिपुत्र में घूमते वक्त चाकू मारकर की थी ।
* काल शोक के दस पुत्र थे उन्होंने 22 वर्षों तक शासन किया था।
* इस वंश का अंतिम शासक नंदिवर्धन ( काल शोक पुत्र ) था नंदिवर्धन की हत्या भी महापद्मनंद ने कि ओर नंद वंश की स्थापना की ।
3. नंद वंश
* महापद्मनंद एक गरीब नाईं का बेटा था वर्ण व्यवस्था के अनुसार यह क्षुद्र जाति का था ।
* महापद्मनंद के दस पुत्र - गगन पल , पंडुक , पंडुगती , भृत्पाल , rashtrpaal , गोविषण, दश सिद्घक , कैवर्त , धनानंद , चंद नंद
* अन्तिम शासक धनानंद था वह बहुत कूरुर और धन संग्रहित था उसने महान चाणक्य को भरे दरबार में अपमानित किया था ।
* अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए चाणक्य ने कूटनीति से चंद्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर युद्ध कराया और इस युद्ध में चन्द्रगुप्त मौर्य की जीत हुई ओर मौर्य वंश की स्थापना की
नोट -जिस समय नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद शासन करता था उसी समय भारत के उत्तर- पश्चिमी भाग में यूनानी शासक सिकन्दर ने आक्रमण किया था ।
भारत पर आक्रमण के बारे में हम आगे पढ़ेंगे ।
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