सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल, और सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

सिंधु घाटी सभ्यता के अब तक 1400 से भी ज्यादा स्थल खोजे जा चुके है। जिनमे से 925 स्थल भारत में तथा 2 स्थल अफगानिस्तान में और शेष स्थल पाकिस्तान में स्थित है। सभी स्थलों में से कुछ स्थल प्रमुख है जिनसे संबंधित सवाल परीक्षा में पुछे जाते है। जो निम्नलिखित है।

1. हड़प्पा- सन् 1921 ई० में दयाराम साहनी के नेतृत्व में खुदाई के दौरान हड़प्पा स्थल खोजा गया था। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत मांतगौमरी जिले में स्थित है। हड़प्पा में अन्नागार के साक्ष्य मिले है। बालू पत्थर की दो मूर्तियां और बर्तन पर मछुआरे की चित्र , कांसे का सिक्का तथा कांसे का दर्पण मिला है।

2. मोहनजोदड़ो- सन् 1922 ई० में राखालदास बनर्जी के नेतृत्व में खुदाई के दौरान यह स्थल खोजा गया यह स्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में स्थित है। यहां एक सभागार, पुरोहितों का आवास, महाविद्यालय तथा स्नानागार मिले है। 16 मकानों का  बैरक मिला है । नृतकी की मूर्ति, दाढ़ी वाले आदमी की मूर्ति तथा पशुपति शिव की साक्ष्य मिले है। हाथी के कपाल खंड तथा घोड़े के दांत के अवशेष मिले है।

3. चन्हूदड़ो- सन् 1931 ई० में एन जी मजूमदार ने इसे खोजा था । यह स्थल मोहनजोदड़ो से 130 km दक्षिण में स्थित सिंध में स्थित है यहां मनके बनाने के कारखाने प्राप्त हुए हैं। यहां कुत्ते बिल्ली के पंजे के साक्ष्य मिले हैं । वक्राकार ईंट भी यही से मिली है ।

4. कालीबंगा- इस स्थल के दो उत्खनन कर्ता रहे amlanand घोष (1953) तथा B.K थापर (1960) यह स्थल राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे स्थित है। यहां से जुते हुए खेत, कच्ची ईंट, मेसोपोटामिया के समरूप मुहोरे के साक्ष्य मिले है। कलीबंगा में दुर्ग से घिरे दो भाग थे।

5. लोथल- सन् 1957 ई० में इस स्थल की खोज रंगनाथ राव ने कि थी । यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद की भोगवा नदिंके किनारे स्थित है। इस स्थल का आकार आयताकार है । अग्नि वेदिका  के साक्ष्य मिले है । फारस की मुहर, लघुमुर्ण मूर्ती, हाथी दांत की स्केल, अनाज पीसने की चक्की, ममी की आकृति भी प्राप्त हुई है।

6. रोपड़- सन् 1953-1954 में यज्ञ दत्त शर्मा ने खोज की थी। यह स्थल पंजाब बम सतलाज नदी के किनारे स्थित है यहां तांबे की कुल्हाड़ी, कब्र में आदमी के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य मिले है ।

7. बनवाली- सन् 1973 ई० में R S विष्ट ने इसकी खोज की थी। यह स्थल हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है । यहां से दो सांस्कृतिक अवस्था प्राप्त हुई है । हड़प्पा पर्व और हड़प्पा कालीन यहां जौं, पत्थर व मिट्टी के मकान, बैलगाड़ी के पहिए तथा हल की आकृति के खिलौने मिले है ।

8. सुरकोतदा- सन् 1964 ई० में जगपती जोशी ने इस स्थल की खोजा । यह स्थल गुजरात में कच्छ प्रदेश में स्थित है । यहां घोड़े की अस्थियां और मनके के साक्ष्य मिले है ।

9. आलमगीरपुर- सन् 1958 ई० में इसकी खुदाई यज्ञ दत्त शर्मा के नेतृत्व में हुई । यह स्थल U.P के मेरठ जिले में हिंडन नदी के किनारे स्थित है । यह हड़प्पा सभ्यता के अंतिम चरण को अंकित करता है ।

10. रंगपुर- सन् 1953-1954 में खुदाई रंगनाथ राव के नेतृत्व में हुई यह स्थल गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित है । यहां कच्ची ईंट का दुर्ग व धान की भूसी के साक्ष्य मिले है ।

11. सुटकोगेंडोर- सन् 1927 में ओरेल स्टाइन ने इस स्थल की खोज की । बलूचिस्तान में स्थित है। यहां परिपक्व हड़प्पा काल का साक्ष्य मिला है। मनुष्य की अस्थि, राख से भरा बर्तन, मिट्टी की चूड़ियां तथा तांबे की कुल्हाड़ी प्राप्त हुई है ।

12. कोट दीजी- सन् 1955-57 में F A KHAN ने खोज की । यह स्थल मोहनजोदड़ो से 50km पूर्व में स्थित है ।

13. धौलाविरा- सन् 1967-68 में जगपती जोशी ने खोज की तथा इसका विस्तार उत्खनन रविन्द्र सिंह विष्ट ने किया यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है । यह नगर तीन भागो में विभाजित था । दुर्गभाग, मद्यमनगर, निचला नगर यहां 16 अलग अलग आकार के जलाशय मिले है। दस बड़े बड़े अक्षरों में लिखा एक सूचना पट्ट मिला है। धौलाविरा भारत का पहला सबसे बड़ा और पूरी सभ्यता का चौथा स्थल है ।

14.  रजीगढ़ी- सन् 1997-99में अमरेन्द्र नाथ के द्वारा यह स्थल खोजा गया । यह स्थल हरियाणा के हिसार जिले स्थित है । यह धौलविरा के बाद भारत का दूसरा बड़ा विशालकाय नगर है।

उपरोक्त लिखे गए प्रमुख स्थलों में से अधिकतर प्रश्न पुछे जाते है । चूंकि टोटल स्थल 1400 से भी अधिक है । इनमे से दो स्थल ही मुख्य नगर रहे हड़प्पा और मोहजोदड़ो हड़प्पा सभी स्थलों में सबसे विशाल स्थल है। जिसके बारे में हमने ऊपर पढ़ा है ।

ऐसे हुआ था सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ था इस पर इतिहासकारों में मतभेद है कुछ इतिहासकारों का मानना है । की इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप से हुआ । और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि यह सभ्यता नदी के किनारे पर बसी थी । यह तर्क सर्वमान्य है । लेकिन कुछ इतिहाकारों का मानना है ।की इतनी बड़ी सभ्यता बाढ़ से समाप्त नही हो सकती है।
फिर भी तर्कसंगत यह की बाढ़ के प्रकोप से इस सभ्यता का अंत हुआ होगा ।

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